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सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के "राखी बांधने पर जमानत मिलेगी" वाले आदेश को खारिज कर दिया

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18 मार्च 2021

हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने यौन हिंसा के आरोपी व्यक्ति को निर्देश दिया कि वह पीड़िता के सामने पेश हो ताकि वह जमानत के लिए पात्र होने के लिए उसकी कलाई पर राखी बांध सके। पीठ ने निर्देश जारी किया कि जमानत याचिकाओं से निपटने के दौरान निचली अदालतों को भी इसका पालन करना चाहिए। पीठ ने आगे कहा कि आरोपी और उसकी पत्नी को रक्षाबंधन के दौरान मिठाई लेकर पीड़िता के घर जाना चाहिए। उसे उसकी रक्षा करने का वादा भी करना चाहिए। अदालत ने आरोपी को निर्देश दिया कि वह पीड़िता को राखी के तोहफे के तौर पर 11,000 और उसके बेटे को कपड़े खरीदने के लिए 5,000 रुपये दे।

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश को खारिज कर दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका के विभिन्न उद्धरणों पर भी गौर किया, जिसमें यौन हिंसा के मामलों में विभिन्न हाईकोर्ट के समान गैर-सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण का उल्लेख किया गया है।

माननीय न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को नोटिस जारी कर उनके सुझाव मांगे हैं। अटॉर्नी जनरल ने अपने जवाब में कहा कि कुछ न्यायाधीश पितृसत्तात्मक और पुराने विचारों वाले हैं; उन्हें संवेदनशील और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है ताकि वे महिलाओं को वस्तु के रूप में पेश करने वाले आदेश पारित न करें। इसके अलावा, अदालतों को पीड़ित और आरोपी के बीच समझौता करने से बचना चाहिए।

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश

1. जमानत में अभियुक्त और पीड़ित के बीच संपर्क अनिवार्य नहीं होना चाहिए।

2. जमानत की शर्तें सीआरपीसी की आवश्यकताओं के अनुसार होनी चाहिए।

3. अंत में, जमानत की शर्तों में शिकायत को संरक्षण प्रदान करने का प्रयास किया जाना चाहिए।


लेखक: पपीहा घोषाल

पीसी: द इंडियनवायर