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सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम बापू की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपनी सजा को निलंबित करने की मांग की थी
जस्टिस इंदिरा बनर्जी और वी रामसुब्रमण्यम और बेला एम त्रिवेदी की सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम बापू की याचिका को खारिज कर दिया, जो राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा राहत देने से इनकार किए जाने के बाद अपनी सजा को निलंबित करने की मांग कर रहे थे। बेंच ने कहा कि एक धर्मगुरु द्वारा किया गया अपराध "बिल्कुल भी सामान्य अपराध नहीं है"।
बाबा ने अपने खराब स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक उपचार की तत्काल आवश्यकता के आधार पर अपनी सजा को निलंबित करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। राजस्थान की ओर से पेश हुए वकील मनीष सिंघवी ने दलील दी कि बाबा को जेल में आवश्यक उपचार दिया गया।
पृष्ठभूमि
आसाराम नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा था। उसने पहले जमानत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और कहा था कि उसकी तबीयत खराब है और इसलिए उसे आयुर्वेदिक उपचार की जरूरत है। दोषी की 5 मई को जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई और उसे कुछ अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हुईं। हालांकि, हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया और जेल प्रशासन को उचित उपचार मुहैया कराने का निर्देश दिया।
इसके बाद आसराम ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने 4 जून को मामले की सुनवाई की और राजस्थान सरकार से जवाब मांगा। राजस्थान सरकार ने कहा कि आसाराम इलाज के बहाने अपनी हिरासत की जगह बदलने की कोशिश कर रहा है।
2016 में, 7 डॉक्टरों की एक समिति ने परीक्षण किए और निष्कर्ष निकाला कि बापू को किसी सर्जरी की आवश्यकता नहीं है। राज्य ने आगे कहा कि वह पहले ही दो बार सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपनी सजा को निलंबित करने की मांग कर चुका है। यह उसकी सजा को निलंबित करने का एक और प्रयास है।
लेखक: पपीहा घोषाल