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सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि संसद को अपीलीयता के संबंध में मध्यस्थता अधिनियम में संशोधन करना चाहिए
10 मार्च 2021
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम की धारा 11(7) और 37 में संशोधन आवश्यक हो सकता है, ताकि धारा 11 और 8 के तहत पारित आदेशों की अपीलीयता समान हो सके। धारा 8 न्यायालय की किसी मामले को मध्यस्थता के लिए संदर्भित करने की शक्ति से संबंधित है, जिसे 2015 में संशोधित किया गया था। संशोधन के बाद, न्यायालय ऐसा संदर्भ तब तक नहीं दे सकता जब तक कि प्रथम दृष्टया कोई वैध मध्यस्थता समझौता या समझौते में खंड न हो।
धारा 8 के तहत मामलों को संदर्भित करने से इनकार करने वाले आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए धारा 37 को भी 2015 में संशोधित किया गया था। हालांकि, भारत के विधि आयोग की सिफारिश के बाद भी, अधिनियम की धारा 11 के तहत मध्यस्थ की नियुक्ति से इनकार करने वाले आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति देने के लिए धारा 37 में कोई संशोधन नहीं किया गया था।
विद्या द्रोलिया बनाम दुर्गा ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अदालतों को धारा 8 और 11 के तहत संतुष्ट होना होगा कि पक्षों के बीच मध्यस्थता समझौता है। कोर्ट ने आगे सुझाव दिया कि संसद को धारा 11(7) और 37 में संशोधन करना चाहिए। और मध्यस्थता समझौते की वैधता का सवाल मध्यस्थ पर निर्भर करता है।
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लेखक: पपीहा घोषाल