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ट्रांसजेंडर महिला ने केरल उच्च न्यायालय में एनसीसी द्वारा अपने कार्यक्रम से एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को बाहर रखने को चुनौती दी

1 नवंबर, 2020
राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), 1948 अधिनियम की धारा 6 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के विरुद्ध अवैध और असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी गई है, जो केवल पुरुषों और महिलाओं को ही कोर में भर्ती होने की अनुमति देता है।
केरल उच्च न्यायालय में तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज में 22 वर्षीय ट्रांस महिला छात्रा हिना हनीफा ने शिकायत दर्ज कराई थी, कथित तौर पर एनसीसी कार्यक्रम में प्रवेश से इनकार किए जाने के बाद क्योंकि एनसीसी में ट्रांसजेंडर छात्रों को दाखिला देने का कोई प्रावधान नहीं था। एनसीसी में शामिल होने के याचिकाकर्ता के अनुरोध पर (केरल राज्य की ट्रांसजेंडर) नीति और इस क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से हो रहे सभी सामाजिक परिवर्तनों के बावजूद विचार नहीं किया गया है।”
नालसा बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों वाली पीठ ने ट्रांसजेंडर लोगों को 'तीसरा लिंग' घोषित किया और आश्वासन दिया कि भारत के संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकार उनके लिए समान रूप से मान्य होंगे और उन्हें पुरुष, महिला और ट्रांसजेंडर के रूप में अपने लिंग की स्वयं पहचान करने का अधिकार दिया।
अपील में हिना ने एनसीसी अधिनियम की धारा 6 को निरस्त करने की मांग की तथा एक आदेश पारित करने का अनुरोध किया, जिसमें एसोसिएट एनसीसी अधिकारी और कमांडिंग ऑफिसर को निर्देश जारी किया जाए कि उन्हें एनसीसी में शामिल होने की अनुमति दी जाए।
लेखक: श्वेता सिंह