
4.1. बिहार में कोर्ट मैरिज की चरणबद्ध प्रक्रिया (ऑनलाइन और ऑफलाइन)
4.3. चरण 1: वैवाहिक वकील से सलाह लेना
4.4. चरण 2: विवाह आवेदन दाखिल करना
4.5. चरण 3: विवाह नोटिस का प्रकाशन
4.6. चरण 4: प्रतीक्षा अवधि और आपत्तियाँ
4.7. चरण 5: विवाह समारोह और घोषणा
4.8. चरण 6: विवाह प्रमाण पत्र जारी होना
4.10. चरण 1: आधिकारिक पोर्टल पर जाएं
4.12. चरण 3: आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें
4.13. चरण 4: पंजीकरण शुल्क का भुगतान करें
4.14. चरण 5: अपॉइंटमेंट (मुलाकात) का समय निर्धारित करें
4.15. चरण 6: सत्यापन प्रक्रिया में उपस्थित हों
4.16. चरण 7: विवाह प्रमाण पत्र जारी होना
4.17. बिहार में कोर्ट मैरिज का खर्च और समय सीमा
4.18. बिहार में कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज़
4.19. दूल्हा-दुल्हन के लिए आवश्यक दस्तावेज़:
4.20. गवाहों के लिए आवश्यक दस्तावेज़
4.21. बिहार में कोर्ट मैरिज का खर्च और लगने वाला समय
5. निष्कर्ष 6. अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)6.1. Q1. क्या बिहार में एक दिन के भीतर कोर्ट मैरिज पूरी हो सकती है?
6.2. Q2. क्या बिहार में कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक है?
6.3. Q3. क्या बिहार में अंतरधार्मिक जोड़े कोर्ट मैरिज कर सकते हैं?
6.4. Q4. बिहार में कोर्ट मैरिज की लागत कितनी है?
क्या आप पारंपरिक समारोहों की झंझटों से बचकर कानूनी तौर पर विवाह करना चाहते हैं? बिहार में कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया समझना उन जोड़ों के लिए बेहद जरूरी है जो अपने विवाह को सरलता से कानूनी मान्यता दिलाना चाहते हैं। मुख्य रूप से विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत संचालित बिहार में कोर्ट मैरिज अंतरधार्मिक, अंतरजातीय या समान धर्म वाले जोड़ों के लिए एक आसान और धर्मनिरपेक्ष विकल्प प्रदान करता है। चाहे आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करें या ऑफलाइन, इस व्यापक गाइड में पात्रता मानदंड, आवश्यक दस्तावेज़, चरण-दर-चरण प्रक्रिया, फीस और तत्काल विवाह (Tatkal Marriage) की सुविधाएं भी शामिल हैं। आगे पढ़ें और जानें कि बिहार में अपने विवाह को कानूनी रूप से वैध और तनाव-मुक्त कैसे बनाएं।
बिहार में कोर्ट मैरिज से संबंधित कानून
कोर्ट मैरिज एक स्पष्ट कानूनी ढांचे के अंतर्गत आती है, जो इस प्रकार के विवाहों को कानूनी मान्यता और संरक्षण प्रदान करता है। कोर्ट मैरिज के लिए मुख्य कानून विशेष विवाह अधिनियम, 1954 है, जो पारंपरिक धार्मिक रस्मों से हटकर धर्मनिरपेक्ष विवाह की अनुमति देता है। यह अधिनियम विशेष रूप से अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाहों के लिए महत्वपूर्ण है, जहाँ व्यक्ति धार्मिक रीति-रिवाजों से बाहर विवाह कर सकते हैं।
हालांकि विशेष विवाह अधिनियम कोर्ट मैरिज का मुख्य कानून है, लेकिन विवाह प्रक्रिया संबंधित कानून धर्म के आधार पर अलग हो सकते हैं:
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954: विशेष विवाह अधिनियम, 1954 अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों के बीच धर्मनिरपेक्ष विवाहों को नियंत्रित करता है।
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 हिंदू, बौद्ध, जैन और सिखों के लिए लागू होता है जो अपने धर्म के अनुसार विवाह कर रहे हैं।
- भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872: भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 ईसाइयों के बीच विवाह से संबंधित है, और चर्च और सिविल रजिस्ट्रेशन दोनों की औपचारिकताएं निर्धारित करता है।
- मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937: मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937 मुसलमानों के बीच विवाहों को नियंत्रित करता है। इसमें कोर्ट रजिस्ट्रेशन तभी आवश्यक होता है जब विवाह विशेष विवाह अधिनियम के तहत किया जाए।
बिहार में कोर्ट मैरिज के लिए पात्रता मानदंड
कोर्ट मैरिज प्रक्रिया शुरू करने से पहले विवाह की वैधता सुनिश्चित करने के लिए कुछ कानूनी आवश्यकताओं को पूरा करना जरूरी है:
न्यूनतम उम्र
विशेष विवाह अधिनियम, 1954, धारा 4(c) के अनुसार विवाह की न्यूनतम आयु है:
- पुरुष: 21 वर्ष;
- महिला: 18 वर्ष।
मानसिक स्थिति
विशेष विवाह अधिनियम की धारा 4(b) के अनुसार दोनों पक्ष विवाह के समय मानसिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए, यानी:
- वैध सहमति देने में सक्षम हों।
- किसी मानसिक बीमारी से ग्रसित न हों।
- बार-बार पागलपन के दौरे न आते हों।
क्या आप पारंपरिक समारोहों की झंझटों से बचकर कानूनी तौर पर विवाह करना चाहते हैं? बिहार में कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया समझना उन जोड़ों के लिए बेहद जरूरी है जो अपने विवाह को सरलता से कानूनी मान्यता दिलाना चाहते हैं। मुख्य रूप से विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत संचालित बिहार में कोर्ट मैरिज अंतरधार्मिक, अंतरजातीय या समान धर्म वाले जोड़ों के लिए एक आसान और धर्मनिरपेक्ष विकल्प प्रदान करता है। चाहे आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करें या ऑफलाइन, इस व्यापक गाइड में पात्रता मानदंड, आवश्यक दस्तावेज़, चरण-दर-चरण प्रक्रिया, फीस और तत्काल विवाह (Tatkal Marriage) की सुविधाएं भी शामिल हैं। आगे पढ़ें और जानें कि बिहार में अपने विवाह को कानूनी रूप से वैध और तनाव-मुक्त कैसे बनाएं।
बिहार में कोर्ट मैरिज से संबंधित कानून
कोर्ट मैरिज एक स्पष्ट कानूनी ढांचे के अंतर्गत आती है, जो इस प्रकार के विवाहों को कानूनी मान्यता और संरक्षण प्रदान करता है। कोर्ट मैरिज के लिए मुख्य कानून विशेष विवाह अधिनियम, 1954 है, जो पारंपरिक धार्मिक रस्मों से हटकर धर्मनिरपेक्ष विवाह की अनुमति देता है। यह अधिनियम विशेष रूप से अंतरधार्मिक और अंतरजातीय विवाहों के लिए महत्वपूर्ण है, जहाँ व्यक्ति धार्मिक रीति-रिवाजों से बाहर विवाह कर सकते हैं।
हालांकि विशेष विवाह अधिनियम कोर्ट मैरिज का मुख्य कानून है, लेकिन विवाह प्रक्रिया संबंधित कानून धर्म के आधार पर अलग हो सकते हैं:
- विशेष विवाह अधिनियम, 1954: विशेष विवाह अधिनियम, 1954, अलग-अलग धर्म और जाति के लोगों के बीच धर्मनिरपेक्ष विवाहों को नियंत्रित करता है।
- हिंदू विवाह अधिनियम, 1955: हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 हिंदू, बौद्ध, जैन और सिखों के लिए लागू होता है जो अपने धर्म के अनुसार विवाह कर रहे हैं।
- भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872: भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872, ईसाइयों के बीच विवाह से संबंधित है, और चर्च और सिविल रजिस्ट्रेशन दोनों की औपचारिकताएं निर्धारित करता है।
- मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937: मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, 1937, मुसलमानों के बीच विवाहों को नियंत्रित करता है। इसमें कोर्ट रजिस्ट्रेशन तभी आवश्यक होता है जब विवाह विशेष विवाह अधिनियम के तहत किया जाए।
ये मापदंड बिहार में विवाहों को कानूनी रूप से वैध बनाते हैं और दोनों व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। ये मापदंड जबरन विवाह, कम उम्र के विवाह और अवैध विवाहों को रोकते हैं तथा भारतीय कानूनों के तहत स्वतंत्रता और कानूनी वैधता प्रदान करते हैं।
ऊपर दी गई आवश्यकताओं को पूरा करके, जोड़े पूरे विश्वास के साथ कोर्ट मैरिज प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं, यह जानते हुए कि उनका विवाह कानूनी रूप से बाध्यकारी, प्रवर्तनीय और भारतीय कानूनों द्वारा सुरक्षित रहेगा।
बिहार में कोर्ट मैरिज की प्रक्रिया
बिहार में कोर्ट मैरिज की चरणबद्ध प्रक्रिया (ऑनलाइन और ऑफलाइन)
ऑफलाइन पंजीकरण
चरण 1: वैवाहिक वकील से सलाह लेना
हालांकि वकील की सहायता लेना अनिवार्य नहीं है, परंतु इससे प्रक्रिया सरल हो सकती है। कानूनी विशेषज्ञ निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:
- सभी आवश्यक दस्तावेजों की जांच करना।
- जोड़े की ओर से विवाह के लिए आवेदन करना।
- आवश्यक होने पर विवाह रजिस्ट्रार के सामने जोड़े का प्रतिनिधित्व करना।
चरण 2: विवाह आवेदन दाखिल करना
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 5 के तहत, दोनों पक्ष विवाह का नोटिस (Notice of Intended Marriage) लिखित रूप में विवाह रजिस्ट्रार को देंगे, जो उस जिले में होना चाहिए जहां दोनों में से कोई एक पक्ष पिछले तीस दिनों से रह रहा हो। आवेदन में निम्न विवरण होने चाहिए:
- दोनों पक्षों के हस्ताक्षर,
- सभी संबंधित आवश्यक दस्तावेज।
चरण 3: विवाह नोटिस का प्रकाशन
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 6 के अनुसार विवाह रजिस्ट्रार:
- विवाह का नोटिस रजिस्ट्रार के कार्यालय में स्पष्ट स्थान पर प्रकाशित करेंगे।
- यह नोटिस विवाह नोटिस बुक में दर्ज होगा, जो जनता के लिए उपलब्ध होती है।
- यदि आवश्यक हो, नोटिस संबंधित पक्षों के गृह जिले के विवाह रजिस्ट्रार को भी भेजा जाएगा।
चरण 4: प्रतीक्षा अवधि और आपत्तियाँ
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 7 के अनुसार, नोटिस प्रकाशित होने के बाद 30 दिनों की प्रतीक्षा अवधि होती है। इस दौरान:
- किसी व्यक्ति को कोई वैध आपत्ति हो, तो वह रजिस्ट्रार को सूचित कर सकता है।
- धारा 8 के तहत, रजिस्ट्रार को आपत्ति की जांच का अधिकार होता है। वैध आपत्ति होने पर प्रक्रिया रोकी जा सकती है।
- यदि 30 दिन के भीतर कोई आपत्ति नहीं होती, तो विवाह आगे बढ़ेगा।
चरण 5: विवाह समारोह और घोषणा
प्रतीक्षा अवधि समाप्त होने पर, दोनों पक्ष विवाह संपन्न कराने के लिए रजिस्ट्रार के समक्ष उपस्थित होंगे। समारोह में:
- विवाह अधिकारी मौजूद होंगे।
- तीन गवाहों की उपस्थिति आवश्यक है।
- रजिस्ट्रार की उपस्थिति में विवाह घोषणा पत्र (Marriage Declaration Form) पर हस्ताक्षर होंगे।
इस प्रक्रिया में कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं होता। दोनों पक्ष रजिस्ट्रार और गवाहों के सामने अपनी सहमति की घोषणा करते हैं।
चरण 6: विवाह प्रमाण पत्र जारी होना
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 की धारा 13 के अनुसार, विवाह संपन्न होने के बाद विवाह प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा। यह कानूनी विवाह प्रमाण पत्र निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए आवश्यक होता है:
- विवाह के बाद नाम परिवर्तन।
- विदेश यात्रा के लिए वीजा आवेदन।
- संयुक्त बैंक खाते खोलना।
- संपत्ति का पंजीकरण और उत्तराधिकार का दावा।
विवाह का कानूनी रूप से पंजीकरण सुनिश्चित करता है कि जोड़ों को भारतीय कानूनों के तहत पूर्ण कानूनी अधिकार और सुरक्षा प्राप्त हो।
ऑनलाइन पंजीकरण
चरण 1: आधिकारिक पोर्टल पर जाएं
विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग, बिहार सरकार के आधिकारिक पोर्टल पर जाएं।
चरण 2: आवेदन पत्र भरें
ऑनलाइन आवेदन पत्र में दोनों पक्षों की सही जानकारी दर्ज करें।
चरण 3: आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें
आवश्यक दस्तावेजों की स्कैन की गई कॉपी, जैसे पहचान प्रमाण (आधार कार्ड), निवास प्रमाण और दोनों पक्षों की पासपोर्ट साइज तस्वीरें अपलोड करें।
चरण 4: पंजीकरण शुल्क का भुगतान करें
आवश्यक शुल्क का भुगतान सुरक्षित तरीके से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से करें।
चरण 5: अपॉइंटमेंट (मुलाकात) का समय निर्धारित करें
दस्तावेज़ सत्यापन और कानूनी औपचारिकताएँ पूरी करने के लिए विवाह रजिस्ट्रार कार्यालय में आने का उपयुक्त समय चुनें।
चरण 6: सत्यापन प्रक्रिया में उपस्थित हों
दस्तावेज़ सत्यापन और शपथ ग्रहण के लिए दोनों पक्षों और गवाहों का व्यक्तिगत रूप से रजिस्ट्रार कार्यालय में उपस्थित होना जरूरी है।
चरण 7: विवाह प्रमाण पत्र जारी होना
सत्यापन प्रक्रिया सफल होने के बाद, विवाह प्रमाण पत्र आमतौर पर 7-10 दिनों के भीतर जारी किया जाता है।
यह भी पढ़ें: आर्य समाज विवाह के पंजीकरण की प्रक्रिया
बिहार में कोर्ट मैरिज का खर्च और समय सीमा
- आवेदन शुल्क: ₹100-₹500 (जिले के अनुसार भिन्न)
- प्रोसेसिंग समय: विशेष विवाह अधिनियम के तहत 30 दिनों की न्यूनतम प्रतीक्षा अवधि।
- तत्काल कोर्ट मैरिज: जरूरी मामलों में, कोर्ट आदेश से प्रक्रिया तेज की जा सकती है।
बिहार में कोर्ट मैरिज के लिए आवश्यक दस्तावेज़
कोर्ट मैरिज के आसान पंजीकरण के लिए दोनों पक्षों और उनके गवाहों को निम्न दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे:
दूल्हा-दुल्हन के लिए आवश्यक दस्तावेज़:
- पहचान प्रमाण: पैन कार्ड/ पासपोर्ट/ ड्राइविंग लाइसेंस (कोई एक)
- पता प्रमाण: आधार कार्ड/ वोटर आईडी/ किराया समझौता/ यूटिलिटी बिल (बिजली/गैस)
- जोड़ों की हाल ही में खींची गई छह पासपोर्ट साइज़ फोटो
- वैवाहिक स्थिति प्रमाण (यदि लागू हो):
- तलाकशुदा के लिए तलाक का आदेश (डिक्री)
- पूर्व जीवनसाथी के निधन पर मृत्यु प्रमाण पत्र
गवाहों के लिए आवश्यक दस्तावेज़
- पहचान प्रमाण: पैन कार्ड/ पासपोर्ट/ ड्राइविंग लाइसेंस (कोई एक)
- दो पासपोर्ट साइज़ फोटो (हाल ही में ली गई)
सभी दस्तावेजों की स्वप्रमाणित (Self-attested) प्रतियाँ, मूल दस्तावेज़ों के साथ सत्यापन के लिए प्रस्तुत करनी होंगी।
बिहार में कोर्ट मैरिज का खर्च और लगने वाला समय
- आवेदन शुल्क: ₹100-₹500 (जिले अनुसार अलग-अलग)
- कम से कम 30 दिनों की अवधि विशेष विवाह अधिनियम के तहत नोटिस अवधि के कारण।
- तत्काल कोर्ट मैरिज: जरूरी स्थिति में अदालत के आदेश द्वारा प्रक्रिया को शीघ्र किया जा सकता है।
निष्कर्ष
बिहार में कोर्ट मैरिज प्रक्रिया कानूनी रूप से सरल, स्पष्ट, और सुरक्षित है। इससे धर्म या जाति की बाधाओं के बिना कानूनी रूप से विवाह संभव है। चाहे आप ऑनलाइन प्रक्रिया चुनें या ऑफलाइन, कानूनी जानकारी से आप सही निर्णय ले सकेंगे। कोर्ट मैरिज के सरल और पारदर्शी तरीकों से अपने विवाह को कानूनी मान्यता और पूर्ण सुरक्षा प्रदान करें।
पंजाब में कोर्ट मैरिज प्रक्रिया 2025
ओडिशा में कोर्ट मैरिज प्रक्रिया की पूरी जानकारी
झारखंड में कोर्ट मैरिज प्रक्रिया
महाराष्ट्र में ऑनलाइन विवाह प्रमाण पत्र कैसे डाउनलोड करें?
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
Q1. क्या बिहार में एक दिन के भीतर कोर्ट मैरिज पूरी हो सकती है?
नहीं, विशेष विवाह अधिनियम के तहत 30 दिन की नोटिस अवधि अनिवार्य है। हालांकि विशेष परिस्थितियों में कोर्ट के आदेश से प्रक्रिया जल्दी हो सकती है।
Q2. क्या बिहार में कोर्ट मैरिज के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक है?
नहीं, जब तक दोनों पक्ष कानूनी उम्र और योग्यता मानदंड पूरे करते हैं, माता-पिता की सहमति आवश्यक नहीं होती।
Q3. क्या बिहार में अंतरधार्मिक जोड़े कोर्ट मैरिज कर सकते हैं?
हाँ, विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत अंतरधार्मिक जोड़े धर्म परिवर्तन किए बिना विवाह कर सकते हैं।
Q4. बिहार में कोर्ट मैरिज की लागत कितनी है?
लागत ₹100-₹500 के बीच होती है, जो स्थान और अन्य कानूनी औपचारिकताओं पर निर्भर करती है।
Q5. क्या पंजीकरण के बाद विवाह को चुनौती दी जा सकती है?
हाँ, धोखाधड़ी, दबाव, या कानूनी शर्तों के उल्लंघन (जैसे द्विविवाह, निषिद्ध संबंध) के आधार पर कोर्ट मैरिज को चुनौती दी जा सकती है।
Q6. क्या बिहार में ऑनलाइन कोर्ट मैरिज पंजीकरण संभव है?
कुछ जिलों में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन सत्यापन और विवाह प्रक्रिया के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना आवश्यक है।