
-------------------------------------------------- ----------------------
(अधिनियम संख्या 29, 1986)
अंतर्वस्तु
प्रस्तावना
[1986 की संख्या 29]
पर्यावरण के संरक्षण और सुधार तथा उससे संबंधित विषयों का उपबंध करने के लिए अधिनियम।
जून, 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित मानव पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में, जिसमें भारत ने भी भाग लिया था, मानव पर्यावरण के संरक्षण और सुधार के लिए समुचित कदम उठाने के निर्णय लिए गए थे;
और चूंकि यह आवश्यक समझा गया है कि पूर्वोक्त निर्णयों को आगे भी क्रियान्वित किया जाए, जहां तक वे पर्यावरण के संरक्षण और सुधार तथा मानव, अन्य जीवित प्राणियों, पौधों और संपत्ति के लिए संकटों की रोकथाम से संबंधित हैं;
भारत गणराज्य के सैंतीसवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियम बनाया जाएगा:-
धारा 1 - संक्षिप्त शीर्षक, विस्तार और प्रारंभ
(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 है।
(2) इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जिसे केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस अधिनियम के विभिन्न उपबंधों और विभिन्न क्षेत्रों के लिए भिन्न-भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी।
धारा 2 - परिभाषाएँ
इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, -
(क) "पर्यावरण" में जल, वायु और भूमि तथा जल, वायु और भूमि तथा मानव, अन्य जीवित प्राणियों, पौधों, सूक्ष्म जीवों और संपत्ति के बीच विद्यमान अंतरसंबंध शामिल हैं;
(ख) "पर्यावरण प्रदूषक" से कोई ठोस, द्रव या गैसीय पदार्थ अभिप्रेत है जो ऐसी सांद्रता में विद्यमान है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है या होने की प्रवृत्ति रखता है;
(ग) "पर्यावरण प्रदूषण" से पर्यावरण में किसी पर्यावरण प्रदूषक की उपस्थिति अभिप्रेत है;
(घ) किसी पदार्थ के संबंध में "हैंडलिंग" का अर्थ है ऐसे पदार्थ का विनिर्माण, प्रसंस्करण, उपचार, पैकेजिंग, भंडारण, परिवहन, उपयोग, संग्रहण, विनाश, रूपांतरण, बिक्री के लिए प्रस्ताव, हस्तांतरण या ऐसा ही कुछ;
(ई) "खतरनाक पदार्थ" से तात्पर्य किसी ऐसे पदार्थ या तैयारी से है जो अपने रासायनिक या भौतिक-रासायनिक गुणों या हैंडलिंग के कारण मनुष्यों, अन्य जीवित प्राणियों, पौधों, सूक्ष्म जीवों, संपत्ति या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए उत्तरदायी है। ;
(च) किसी कारखाने या परिसर के संबंध में "अधिभोगी" का अर्थ है वह व्यक्ति जिसका कारखाने या परिसर के कार्यों पर नियंत्रण है और इसमें किसी भी संबंध में शामिल है
पदार्थ, पदार्थ के कब्जे में व्यक्ति;
(छ) "विहित" से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है।
धारा 3 - पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार के लिए उपाय करने की केन्द्र सरकार की शक्ति
(1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार को ऐसे सभी उपाय करने की शक्ति होगी, जिन्हें वह पर्यावरण की क्वालिटी के संरक्षण और सुधार तथा पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण और उपशमन के प्रयोजन के लिए आवश्यक या समीचीन समझे।
(2) विशिष्टतया, तथा उपधारा (1) के उपबंधों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे उपायों में निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के संबंध में उपाय सम्मिलित हो सकेंगे, अर्थात्:
(i) राज्य सरकारों, अधिकारियों और अन्य प्राधिकारियों द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों का समन्वय -
(क) इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन; या
(ख) तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन, जो इस अधिनियम के उद्देश्यों से संबंधित हो;
(ii) पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उपशमन के लिए राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम की योजना बनाना और उसका क्रियान्वयन करना;
(iii) पर्यावरण की गुणवत्ता के विभिन्न पहलुओं के लिए मानक निर्धारित करना;
(iv) विभिन्न स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निर्वहन के लिए मानक निर्धारित करना:
बशर्ते कि इस खंड के अंतर्गत विभिन्न स्रोतों से पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन या निर्वहन की गुणवत्ता या संरचना को ध्यान में रखते हुए उत्सर्जन या निर्वहन के लिए अलग-अलग मानक निर्धारित किए जा सकेंगे;
(v) ऐसे क्षेत्रों पर प्रतिबंध जिनमें कोई उद्योग, परिचालन या प्रक्रिया, या उद्योगों का वर्ग, परिचालन या प्रक्रिया नहीं की जाएगी या कुछ सुरक्षा उपायों के अधीन की जाएगी;
(vi) पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न करने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रक्रियाएं और सुरक्षा उपाय निर्धारित करना तथा ऐसी दुर्घटनाओं के लिए उपचारात्मक उपाय करना;
(vii) खतरनाक पदार्थों के संचालन के लिए प्रक्रियाएं और सुरक्षा उपाय निर्धारित करना;
(viii) ऐसी विनिर्माण प्रक्रियाओं, सामग्रियों और पदार्थों की जांच, जिनसे पर्यावरण प्रदूषण होने की संभावना है;
(ix) पर्यावरण प्रदूषण की समस्याओं से संबंधित जांच और अनुसंधान करना तथा प्रायोजित करना;
(x) किसी परिसर, संयंत्र, उपकरण, मशीनरी, विनिर्माण या अन्य प्रक्रियाओं, सामग्रियों या पदार्थों का निरीक्षण करना तथा आदेश द्वारा ऐसे प्राधिकारियों, अधिकारियों या व्यक्तियों को ऐसे निर्देश देना जिन्हें वह रोकथाम के लिए कदम उठाने के लिए आवश्यक समझे, पर्यावरण प्रदूषण पर नियंत्रण एवं उपशमन;
(xi) इस अधिनियम के अधीन पर्यावरण प्रयोगशालाओं और संस्थानों को सौंपे गए कृत्यों को पूरा करने के लिए पर्यावरण प्रयोगशालाओं और संस्थानों की स्थापना या मान्यता;
(xii) पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित मामलों के संबंध में सूचना का संग्रहण और प्रसार;
(xiii) पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उपशमन से संबंधित मैनुअल, संहिता या मार्गदर्शिका तैयार करना;
(xiv) ऐसे अन्य विषय जिन्हें केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के उपबंधों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिए आवश्यक या समीचीन समझे।
(३) यदि केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए ऐसा करना आवश्यक या समीचीन समझती है तो वह राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा ऐसे नाम या नामों से एक प्राधिकरण या प्राधिकरणों का गठन कर सकेगी, जैसा कि अधिनियम में विनिर्दिष्ट किया जाए। इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार की शक्तियों और कृत्यों का प्रयोग और पालन करने के प्रयोजन के लिए (जिसके अंतर्गत धारा 5 के अधीन निदेश जारी करने की शक्ति भी है) तथा उपधारा (1) में निर्दिष्ट विषयों के संबंध में उपाय करने के लिए आदेश। 2) जैसा कि आदेश में उल्लिखित हो और केंद्रीय सरकार के पर्यवेक्षण और नियंत्रण तथा ऐसे आदेश के उपबंधों के अधीन रहते हुए, ऐसा प्राधिकरण या प्राधिकरण आदेश में उल्लिखित शक्तियों का प्रयोग या कृत्यों का पालन कर सकेंगे या उपाय कर सकेंगे, मानो ऐसे प्राधिकरण या प्राधिकरणों को इस अधिनियम द्वारा उन शक्तियों का प्रयोग करने या उन कार्यों को करने या ऐसे उपाय करने के लिए सशक्त किया गया था।
धारा 4 - अधिकारियों की नियुक्ति तथा उनकी शक्तियां और कार्य।
(1) धारा 3 की उपधारा (3) के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार ऐसे पदनामों वाले अधिकारियों को नियुक्त कर सकेगी, जिन्हें वह इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए ठीक समझे और उन्हें इस अधिनियम के अधीन ऐसी शक्तियां और कृत्य सौंप सकेगी, इस अधिनियम के अंतर्गत, जैसा वह उचित समझे, कार्यवाही की जाएगी।
(2) उपधारा (1) के अधीन नियुक्त अधिकारी केन्द्रीय सरकार के साधारण नियंत्रण और निदेश के अधीन होंगे, या यदि उस सरकार द्वारा ऐसा निदेश दिया जाए तो उपधारा (1) के अधीन गठित प्राधिकरण या प्राधिकरणों के भी, यदि कोई हों, नियंत्रण और निदेश के अधीन होंगे। (3) धारा 3 के अधीन किसी अन्य प्राधिकारी या अधिकारी द्वारा नियुक्त किया जाएगा।
धारा 5 - निर्देश देने की शक्ति
किसी अन्य कानून में निहित किसी भी बात के होते हुए भी, लेकिन इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन, केंद्रीय सरकार, इस अधिनियम के तहत अपनी शक्तियों के प्रयोग और अपने कार्यों के निष्पादन में, किसी भी व्यक्ति, अधिकारी या किसी भी प्राधिकरण को लिखित रूप में निर्देश जारी कर सकती है और ऐसे कोई भी व्यक्ति, अधिकारी या प्राधिकारी ऐसे निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य होगा।
स्पष्टीकरण: संदेहों से बचने के लिए, यह घोषित किया जाता है कि इस धारा के अधीन निर्देश जारी करने की शक्ति में निम्नलिखित निर्देश देने की शक्ति भी सम्मिलित है -
(क) किसी उद्योग, प्रचालन या प्रक्रिया को बंद करना, प्रतिषेध करना या विनियमित करना; या
(ख) बिजली या पानी या किसी अन्य सेवा की आपूर्ति को रोकना या विनियमित करना।
धारा 6 - पर्यावरण प्रदूषण को विनियमित करने के नियम।
(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, धारा 3 में निर्दिष्ट सभी या किन्हीं विषयों के संबंध में नियम बना सकेगी।
(2) विशिष्टतया, तथा पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात्:-
(क) विभिन्न क्षेत्रों और प्रयोजनों के लिए वायु, जल या मृदा की गुणवत्ता के मानक;
(ख) विभिन्न क्षेत्रों के लिए विभिन्न पर्यावरण प्रदूषकों (शोर सहित) की सांद्रता की अधिकतम स्वीकार्य सीमा;
(ग) खतरनाक पदार्थों के संचालन के लिए प्रक्रियाएँ और सुरक्षा उपाय;
(घ) विभिन्न क्षेत्रों में खतरनाक पदार्थों के संचालन पर प्रतिषेध एवं प्रतिबंध;
(ई) विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों की स्थापना तथा प्रक्रियाओं और कार्यों को चलाने पर प्रतिषेध और प्रतिबंध;
(च) ऐसी दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय, जिनसे पर्यावरण प्रदूषण हो सकता है तथा ऐसी दुर्घटनाओं के लिए उपचारात्मक उपाय उपलब्ध कराना।
धारा 7 - उद्योग, परिचालन आदि करने वाले व्यक्तियों को मानकों से अधिक मात्रा में पर्यावरण प्रदूषकों का उत्सर्जन या उत्सर्जन नहीं करने देना है।
कोई भी व्यक्ति, जो कोई उद्योग, प्रचालन या प्रक्रिया चला रहा है, निर्धारित मानकों से अधिक कोई पर्यावरण प्रदूषक उत्सर्जित या उत्सर्जित नहीं करेगा, या उत्सर्जित या उत्सर्जित करने की अनुमति नहीं देगा।
धारा 8 - खतरनाक पदार्थों को संभालने वाले व्यक्तियों को प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का अनुपालन करना होगा।
कोई भी व्यक्ति किसी खतरनाक पदार्थ को न तो संभालेगा और न ही संभालने देगा, सिवाय ऐसी प्रक्रिया के अनुसार और निर्धारित सुरक्षा उपायों का पालन करने के।
धारा 9 - कुछ मामलों में प्राधिकारियों और एजेंसियों को सूचना प्रदान करना।
(1) जहां किसी दुर्घटना या अन्य अप्रत्याशित कार्य या घटना के कारण निर्धारित मानकों से अधिक किसी पर्यावरण प्रदूषक का उत्सर्जन होता है या होने की आशंका होती है, ऐसे उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार व्यक्ति और उस स्थान का प्रभारी व्यक्ति जहां ऐसा उत्सर्जन होता है, उत्सर्जन होता है, या होने की आशंका होती है, तो वह ऐसे उत्सर्जन के परिणामस्वरूप होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए बाध्य होगा और साथ ही तत्काल -
(क) ऐसी घटना के तथ्य या ऐसी घटना की आशंका की सूचना देगा; और
(ख) यदि अपेक्षित हो तो ऐसे प्राधिकारियों या एजेन्सियों को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए बाध्य होगा, जैसा कि विहित किया जाए।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्रकृति की किसी घटना के तथ्य या आशंका के संबंध में सूचना प्राप्त होने पर, चाहे उस उपधारा के अधीन सूचना के माध्यम से या अन्यथा, उपधारा (1) में निर्दिष्ट प्राधिकारी या अभिकरण, उस उपधारा (1) के अधीन सूचना के माध्यम से या अन्यथा, उपधारा (2) में निर्दिष्ट प्राधिकारी या अभिकरण, उस उपधारा (3) के अधीन सूचना के माध्यम से या अन्यथा ...4) के अधीन सूचना के माध्यम से या अन्यथा, उस उप धारा (1) यथाशीघ्र ऐसे उपचारात्मक उपाय कराएगी जो पर्यावरण प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए आवश्यक हैं।
(3) उपधारा (2) में निर्दिष्ट उपचारात्मक उपायों के संबंध में किसी प्राधिकरण या एजेंसी द्वारा किए गए व्यय, यदि कोई हों, साथ में ब्याज (ऐसी उचित दर पर, जैसा कि सरकार आदेश द्वारा निर्धारित कर सकती है) व्ययों के लिए मांग किए जाने की तारीख से लेकर भुगतान किए जाने तक की राशि ऐसे प्राधिकारी या एजेंसी द्वारा संबंधित व्यक्ति से भू-राजस्व या सार्वजनिक मांग के बकाया के रूप में वसूल की जा सकेगी।
धारा 10 - प्रवेश और निरीक्षण की शक्ति
(1) इस धारा के उपबंधों के अधीन रहते हुए, केन्द्रीय सरकार द्वारा इस निमित्त सशक्त किसी व्यक्ति को सभी उचित समयों पर ऐसी सहायता के साथ, जिसे वह आवश्यक समझे, किसी स्थान में प्रवेश करने का अधिकार होगा -
(क) केन्द्रीय सरकार द्वारा उसे सौंपे गए किसी कार्य को करने के प्रयोजन के लिए;
(ख) यह निर्धारित करने के प्रयोजन के लिए कि क्या और यदि हां तो किस प्रकार ऐसे कोई कार्य किए जाने हैं या क्या इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के कोई उपबंध या दी गई कोई सूचना, आदेश, निदेश या प्राधिकरण, इस अधिनियम के अंतर्गत अनुपालन किया जा रहा है या किया जा चुका है;
(ग) किसी उपकरण, औद्योगिक संयंत्र, अभिलेख, रजिस्टर, दस्तावेज या किसी अन्य भौतिक वस्तु की जांच और परीक्षण करने के प्रयोजन के लिए या किसी भवन की तलाशी लेने के लिए जिसके बारे में उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि इस अधिनियम या नियमों के अधीन कोई अपराध हुआ है। इसके अधीन किया गया है या किया जा रहा है या किया जाने वाला है और किसी भी ऐसे उपकरण, औद्योगिक संयंत्र, रिकॉर्ड, रजिस्टर, दस्तावेज या अन्य भौतिक वस्तु को जब्त करने के लिए यदि उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि यह दंडनीय अपराध के किए जाने का सबूत पेश कर सकता है इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों के अधीन या पर्यावरण प्रदूषण को रोकने या कम करने के लिए ऐसी जब्ती आवश्यक है।
(2) कोई उद्योग, संक्रिया या प्रक्रिया करने वाला या कोई खतरनाक पदार्थ संभालने वाला प्रत्येक व्यक्ति उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा उस उपधारा के अधीन कृत्य करने के लिए सशक्त व्यक्ति को सभी सहायता देने के लिए आबद्ध होगा। और यदि वह किसी उचित कारण या बहाने के बिना ऐसा करने में असफल रहता है, तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।
(3) यदि कोई व्यक्ति उपधारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा सशक्त किसी व्यक्ति को उसके कृत्यों के पालन में जानबूझकर विलम्ब करेगा या बाधा पहुंचाएगा, तो वह इस अधिनियम के अधीन अपराध का दोषी होगा।
(4) दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) के उपबंध, या जम्मू-कश्मीर राज्य के संबंध में, या किसी ऐसे क्षेत्र के संबंध में जिसमें वह संहिता लागू नहीं है, वहां किसी समतुल्य कानून के उपबंध, उस राज्य या क्षेत्र में बल, जहां तक हो सके, इस धारा के तहत किसी भी तलाशी या जब्ती पर उसी तरह लागू होगा जैसे वह उक्त संहिता की धारा 94 के तहत जारी वारंट के अधिकार के तहत की गई किसी भी तलाशी या जब्ती पर लागू होता है या, जैसा कि उक्त कानून के संगत प्रावधानों के अंतर्गत, जो भी मामला हो, ऐसा किया जाएगा।
धारा 11 - नमूना लेने की शक्ति तथा उसके संबंध में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया।
(1) केन्द्रीय सरकार या उसके द्वारा इस निमित्त सशक्त किसी अधिकारी को विश्लेषण के प्रयोजनार्थ किसी कारखाने, परिसर या अन्य स्थान से वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने ऐसी रीति से लेने की शक्ति होगी, जैसी कि निर्धारित किया जा सकता है.
(2) उपधारा (1) के अधीन लिए गए नमूने के किसी विश्लेषण का परिणाम किसी विधिक कार्यवाही में साक्ष्य के रूप में तब तक ग्राह्य नहीं होगा जब तक उपधारा (3) और (4) के उपबंधों का अनुपालन नहीं किया जाता है।
(3) उपधारा (4) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, उपधारा (1) के अधीन नमूना लेने वाला व्यक्ति-
(क) अधिभोगी या उसके अभिकर्ता या स्थान के भारसाधक व्यक्ति को, उसी समय, ऐसे प्ररूप में, जैसा विहित किया जाए, उस स्थान का इस प्रकार विश्लेषण कराने के अपने आशय की सूचना तामील करेगा;
(ख) अधिभोगी या उसके एजेंट या व्यक्ति की उपस्थिति में विश्लेषण के लिए नमूना एकत्र करना;
(ग) नमूने को एक कंटेनर या कंटेनरों में रखवाएगा, जिसे चिह्नित और सील किया जाएगा और उस पर नमूना लेने वाले व्यक्ति और अधिभोगी या उसके एजेंट या व्यक्ति दोनों के हस्ताक्षर भी होंगे;
(घ) कंटेनर या कंटेनरों को अविलंब धारा 12 के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा स्थापित या मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला को भेजेगा।
(4) जब उपधारा (1) के अधीन विश्लेषण के लिए नमूना लिया जाता है और नमूना लेने वाला व्यक्ति अधिभोगी या उसके अभिकर्ता या व्यक्ति को उपधारा (3) के खंड (क) के अधीन सूचना तामील करता है, तब, -
(क) ऐसे मामले में जहां अधिभोगी, उसका एजेंट या व्यक्ति जानबूझकर अनुपस्थित रहता है, नमूना लेने वाला व्यक्ति विश्लेषण के लिए नमूना एकत्र करेगा और उसे कंटेनर या कंटेनरों में रखेगा, जिसे चिह्नित और सील किया जाएगा और उस पर आवेदक के हस्ताक्षर भी होंगे। नमूना लेने वाला व्यक्ति, और
(ख) ऐसे मामले में जहां नमूना लेने के समय अधिभोगी या उसका अभिकर्ता या उपस्थित व्यक्ति उपधारा (3) के खंड (ग) के अधीन अपेक्षित नमूने के चिह्नित और मुहरबंद कंटेनर या कंटेनरों पर हस्ताक्षर करने से इनकार करता है, चिह्नित और सीलबंद कंटेनर या कंटेनरों पर नमूने लेने वाले व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे, और कंटेनर या कंटेनरों को नमूना लेने वाले व्यक्ति द्वारा धारा 12 के तहत स्थापित या मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में विश्लेषण के लिए बिना देरी के भेजा जाएगा और ऐसा व्यक्ति प्रयोगशाला को सूचित करेगा। धारा 13 के अंतर्गत नियुक्त या मान्यता प्राप्त सरकारी विश्लेषक द्वारा लिखित रूप में अधिभोगी या उसके प्रतिनिधि या व्यक्ति की जानबूझकर अनुपस्थिति, या, जैसा भी मामला हो, कंटेनर या कंटेनरों पर हस्ताक्षर करने से उसके इनकार के बारे में सूचित करना।
धारा 12 - पर्यावरण प्रयोगशालाएँ।
(1) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, -
(क) एक या एक से अधिक पर्यावरण प्रयोगशालाएं स्थापित करना;
(ख) इस अधिनियम के अधीन पर्यावरण प्रयोगशाला को सौंपे गए कृत्यों को पूरा करने के लिए एक या अधिक प्रयोगशालाओं या संस्थानों को पर्यावरण प्रयोगशालाओं के रूप में मान्यता दे सकेगी।
(2) केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, निम्नलिखित विनिर्दिष्ट करते हुए नियम बना सकेगी-
(क) पर्यावरण प्रयोगशाला के कार्य;
(ख) विश्लेषण या परीक्षण के लिए वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने उक्त प्रयोगशाला को प्रस्तुत करने की प्रक्रिया, उस पर प्रयोगशाला रिपोर्ट का प्रारूप तथा ऐसी रिपोर्ट के लिए देय फीस;
(ग) ऐसे अन्य विषय जो उस प्रयोगशाला को अपने कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक या समीचीन हों।
धारा 13 - सरकारी विश्लेषक.
केन्द्रीय सरकार, आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, विश्लेषण के लिए भेजे गए वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने के विश्लेषण के प्रयोजन के लिए ऐसे व्यक्तियों को, जिन्हें वह ठीक समझे और जिनके पास विहित योग्यताएं हों, सरकारी विश्लेषक के रूप में नियुक्त या मान्यता दे सकती है। धारा 12 की उपधारा (1) के अधीन स्थापित या मान्यता प्राप्त कोई पर्यावरण प्रयोगशाला।
धारा 14 - सरकारी विश्लेषकों की रिपोर्ट।
किसी दस्तावेज को, जो सरकारी विश्लेषक द्वारा हस्ताक्षरित रिपोर्ट होने का दावा करता है, इस अधिनियम के अधीन किसी कार्यवाही में उसमें कथित तथ्यों के साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकेगा।
धारा 15 - अधिनियम के प्रावधानों और नियमों, आदेशों और निर्देशों के उल्लंघन के लिए दंड।
(1) जो कोई इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों या जारी किए गए आदेशों या निदेशों के किसी उपबंध का पालन करने में विफल रहेगा या उसका उल्लंघन करेगा, वह प्रत्येक ऐसी विफलता या उल्लंघन के संबंध में कारावास से दण्डनीय होगा, जिसकी अवधि 15 वर्ष या उससे अधिक नहीं होगी। पांच वर्ष तक की सजा या जुर्माना जो एक लाख रुपये तक हो सकता है, या दोनों, और यदि विफलता या उल्लंघन जारी रहता है, तो अतिरिक्त जुर्माना जो प्रत्येक दिन के लिए पांच हजार रुपये तक हो सकता है, जिसके दौरान दोषसिद्धि के बाद ऐसी विफलता या उल्लंघन जारी रहता है। ऐसी पहली विफलता या उल्लंघन के लिए।
(2) यदि उपधारा (1) में निर्दिष्ट असफलता या उल्लंघन दोषसिद्धि की तारीख के पश्चात एक वर्ष की अवधि से अधिक समय तक जारी रहता है तो अपराधी को कारावास से दण्डित किया जाएगा, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी।
धारा 16 - कम्पनियों द्वारा अपराध।
(1) जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया है, वहां प्रत्येक व्यक्ति जो अपराध किए जाने के समय कंपनी का प्रत्यक्ष रूप से भारसाधक था और कंपनी के कारबार के संचालन के लिए कंपनी के प्रति उत्तरदायी था, उस कंपनी द्वारा किए गए अपराध के लिए उत्तरदायी होगा। , तथा कंपनी को भी अपराध का दोषी माना जाएगा तथा तदनुसार उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी तथा उन्हें दंडित किया जाएगा:
परन्तु इस उपधारा में अन्तर्विष्ट कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को इस अधिनियम में उपबन्धित किसी दण्ड का भागी नहीं बनाएगी, यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध के किए जाने को रोकने के लिए सभी सम्यक् तत्परता बरती थी।
(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किसी कंपनी द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि अपराध कंपनी की सहमति या मिलीभगत से किया गया है या उसकी किसी उपेक्षा के कारण किया गया है, कंपनी के किसी निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी की ओर से कोई अपराध किया जाता है, तो ऐसा निदेशक, प्रबंधक, सचिव या अन्य अधिकारी भी उस अपराध का दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध कार्यवाही की जा सकेगी तथा तदनुसार दंडित किया जा सकेगा।
स्पष्टीकरण: इस धारा के प्रयोजनों के लिए -
(क) "कंपनी" से कोई निगमित निकाय अभिप्रेत है और इसमें फर्म या व्यक्तियों का अन्य संघ भी शामिल है;
(ख) किसी फर्म के संबंध में "निदेशक" से उस फर्म का भागीदार अभिप्रेत है।
धारा 17 - सरकारी विभागों द्वारा अपराध।
(1) जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध सरकारी विभाग द्वारा किया गया है, वहां विभागाध्यक्ष को उस अपराध का दोषी माना जाएगा और उसके विरुद्ध कार्यवाही की जा सकेगी तथा उसे तदनुसार दंडित किया जा सकेगा:
परन्तु इस धारा में अन्तर्विष्ट कोई बात ऐसे विभागाध्यक्ष को किसी दण्ड का भागी नहीं बनाएगी यदि वह यह साबित कर देता है कि अपराध उसकी जानकारी के बिना किया गया था या उसने ऐसे अपराध को रोकने के लिए सभी सम्यक तत्परता बरती थी।
(2) उपधारा (1) में किसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध सरकार के किसी विभाग द्वारा किया गया है और यह साबित हो जाता है कि अपराध किसी की सहमति या मिलीभगत से किया गया है या उस पर किसी का आरोप है, विभागाध्यक्ष के अलावा किसी अन्य अधिकारी की ओर से उपेक्षा की जाती है, तो ऐसा अधिकारी भी उस अपराध का दोषी समझा जाएगा और उसके विरुद्ध कार्यवाही की जा सकेगी तथा तदनुसार दंडित किया जा सकेगा।
धारा 18 - सद्भावनापूर्वक की गई कार्रवाई का संरक्षण।
सरकार या सरकार के किसी अधिकारी या अन्य कर्मचारी या इस अधिनियम के तहत गठित किसी प्राधिकरण या ऐसे प्राधिकरण के किसी सदस्य, अधिकारी या अन्य कर्मचारी के खिलाफ कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य कानूनी कार्यवाही नहीं की जाएगी, जो किसी ऐसी बात के संबंध में की गई हो या करने का इरादा रखती हो। इस अधिनियम या इसके अधीन बनाए गए नियमों या जारी किए गए आदेशों या निर्देशों के अनुसरण में सद्भावपूर्वक किया जाएगा।
धारा 19 - अपराधों का संज्ञान।
कोई भी न्यायालय इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का संज्ञान निम्नलिखित द्वारा की गई शिकायत के अलावा नहीं लेगा -
(क) केन्द्रीय सरकार या उस सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत कोई प्राधिकारी या अधिकारी; या
(ख) कोई व्यक्ति जिसने अभिकथित अपराध की तथा शिकायत करने के अपने आशय की सूचना केन्द्रीय सरकार या पूर्वोक्त रूप से प्राधिकृत प्राधिकारी या अधिकारी को, विहित रीति से कम से कम साठ दिन की अवधि में दे दी है।
धारा 20 - सूचना, रिपोर्ट या विवरणी।
केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के अधीन अपने कार्यों के संबंध में, समय-समय पर, किसी व्यक्ति, अधिकारी, राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण से, उसे या किसी विहित प्राधिकरण या अधिकारी को कोई रिपोर्ट, विवरणी, आंकड़े, लेखे और अन्य सूचनाएं प्रस्तुत करने की अपेक्षा कर सकती है। ऐसा व्यक्ति, अधिकारी, राज्य सरकार या अन्य प्राधिकारी ऐसा करने के लिए बाध्य होगा।
धारा 21 - धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के सदस्य, अधिकारी और कर्मचारी लोक सेवक होंगे।
धारा 3 के अधीन गठित प्राधिकरण के सभी सदस्य, यदि कोई हों, तथा ऐसे प्राधिकरण के सभी अधिकारी और अन्य कर्मचारी, जब वे इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों या जारी किए गए आदेशों या निदेशों के किसी उपबंध के अनुसरण में कार्य कर रहे हों या कार्य करने का तात्पर्य रखते हों। भारतीय दंड संहिता की धारा 21 के अर्थान्तर्गत लोक सेवक समझे जाएंगे।
धारा 22 - अधिकार क्षेत्र का निषेध।
किसी भी सिविल न्यायालय को केन्द्रीय सरकार या किसी प्राधिकरण या अधिकारी द्वारा उसके अधीन प्रदत्त किसी शक्ति के अनुसरण में या उसके कार्यों के संबंध में की गई किसी बात, की गई कार्रवाई या जारी किए गए आदेश या निर्देश के संबंध में कोई वाद या कार्यवाही करने का अधिकार नहीं होगा। यह कार्य।
धारा 23 - प्रतिनिधि बनाने की शक्ति
धारा 3 की उपधारा (3) के प्रावधानों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, अधिसूचना में निर्दिष्ट शर्तों और सीमाओं के अधीन, अपनी शक्तियों और कार्यों में से कुछ को किसी अन्य को सौंप सकती है। इस अधिनियम के अधीन, [धारा 3 की उपधारा (3) के अधीन प्राधिकरण गठित करने और धारा 25 के अधीन नियम बनाने की शक्ति को छोड़कर] जैसा वह आवश्यक या समीचीन समझे, किसी अधिकारी, राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण को प्रदान की जाएगी।
धारा 24 - अन्य कानूनों का प्रभाव
(1) उपधारा (2) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, इस अधिनियम के उपबंध और इसमें बनाए गए नियम या आदेश, इस अधिनियम से भिन्न किसी अधिनियमिति में अंतर्विष्ट उनसे असंगत किसी बात पर भी प्रभावी होंगे।
(2) जहां कोई कार्य या लोप इस अधिनियम के अधीन तथा किसी अन्य अधिनियम के अधीन भी दंडनीय अपराध बनता है, वहां ऐसे अपराध का दोषी पाया गया अपराधी अन्य अधिनियम के अधीन दंडित किए जाने का भागी होगा, न कि इस अधिनियम के अधीन।
धारा 25 - नियम बनाने की शक्ति
(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, बना सकेगी।
(2) विशिष्टतया, तथा पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात्:
(क) धारा 7 के अधीन वे मानक जिनसे अधिक पर्यावरण प्रदूषक उत्सर्जित या उत्सर्जित नहीं किए जाएंगे;
(ख) वह प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय जिनके अनुपालन में धारा 8 के अधीन खतरनाक पदार्थों को संभाला जाएगा या संभाला जाएगा;
(ग) वे प्राधिकारी या अभिकरण जिन्हें निर्धारित मानकों से अधिक किसी पर्यावरण प्रदूषक के उत्सर्जन के घटित होने या घटित होने की आशंका के तथ्य की सूचना दी जाएगी और जिन्हें उपधारा (1) के अधीन सभी सहायता प्रदान करने के लिए आबद्ध किया जाएगा। धारा 9 की धारा (1)
(घ) वह रीति जिससे धारा 11 की उपधारा (1) के अधीन विश्लेषण के प्रयोजन के लिए वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थ के नमूने लिए जाएंगे;
(ङ) वह प्ररूप जिसमें धारा 11 की उपधारा (3) के खंड (क) के अधीन नमूने का विश्लेषण कराने के आशय की सूचना तामील की जाएगी;
(च) पर्यावरण प्रयोगशालाओं के कार्य, विश्लेषण या परीक्षण के लिए वायु, जल, मृदा और अन्य पदार्थों के नमूने ऐसी प्रयोगशालाओं को भेजने की प्रक्रिया; प्रयोगशाला रिपोर्ट का प्रारूप; ऐसी रिपोर्ट के लिए देय फीस और अन्य विषय। ऐसी प्रयोगशालाओं को धारा 12 की उपधारा (2) के अधीन अपने कार्य करने में समर्थ बनाना;
(छ) धारा 13 के अधीन वायु, जल, मृदा या अन्य पदार्थों के नमूनों के विश्लेषण के प्रयोजन के लिए नियुक्त या मान्यताप्राप्त सरकारी विश्लेषक की योग्यताएं;
(ज) वह रीति जिससे अपराध की सूचना तथा केन्द्रीय सरकार को शिकायत करने के आशय की सूचना धारा 19 के खण्ड (ख) के अधीन दी जाएगी;
(i) वह प्राधिकारी या अधिकारी जिसे धारा 20 के अधीन कोई रिपोर्ट, विवरणी, आंकड़े, लेखे और अन्य जानकारी दी जाएगी;
(ञ) कोई अन्य विषय जिसे विहित किया जाना अपेक्षित है या विहित किया जा सकता है।
धारा 26 - इस अधिनियम के अन्तर्गत बनाए गए नियमों को संसद के समक्ष रखा जाएगा।
इस अधिनियम के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में, दो या अधिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त क्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने पर सहमत हो जाएं या दोनों सदन इस बात पर सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह नियम समाप्त हो जाएगा। या तो ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा या निष्प्रभावी होगा; तथापि, ऐसा कोई भी परिवर्तन या निष्प्रभावीकरण उस नियम के अधीन पहले की गई किसी बात की वैधता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा।
**********