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जांच अधिकारी द्वारा किशोर आयु का सत्यापन 15 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए - दिल्ली उच्च न्यायालय
दिल्ली उच्च न्यायालय ने किशोरों द्वारा किए गए अपराधों की जांच कर रहे जांच अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे किशोर की आयु से संबंधित दस्तावेज प्राप्त करें तथा किशोर न्याय बोर्ड द्वारा निर्देश जारी किए जाने की तिथि से 15 दिनों के भीतर आयु निर्धारित करने के लिए अस्थिकरण परीक्षण किया जाए।
न्यायालय सुधार गृहों में किशोरों की स्थिति और दिल्ली के किशोर न्याय बोर्ड के कामकाज के बारे में स्वप्रेरणा से मामले की सुनवाई कर रहा था। दिल्ली उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति की सचिव अनु ग्रोवर बालिगा ने न्यायालय को बताया कि जांच के निपटान में देरी का मुख्य कारण यह है कि किसी भी अधिनियम के तहत किशोरों की आयु निर्धारित करने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कोई समय-सीमा नहीं दी गई है। उन्होंने आगे कहा कि जांच अधिकारी द्वारा ऐसे दस्तावेज तैयार करने में काफी समय लगना आम बात है। न्याय मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने न्यायालय को बताया कि किशोर न्याय कोष में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है, लेकिन इस उद्देश्य के लिए बहुत कम राशि का उपयोग किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि दिल्ली में 11 जेजेबी स्थापित करने का प्रस्ताव था, लेकिन उनमें से केवल 6 ही आज तक कार्यात्मक हो पाए हैं।
न्यायालय ने राज्य को किशोर न्याय कोष के लिए स्वीकृत धनराशि, उसके वितरण और उसके उद्देश्य के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर 2021 को होगी।
लेखक: पपीहा घोषाल